जय श्री राम ‘ भगवान् राम के नाम उच्चारण के साथ ही इस लेख कई शुरुआत हम करने जा रहे है अयोध्या नगरी जो की मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की नगरी है जिसे भगवान् श्री राम के जन्म स्थान के रूप में भी जान जाता है सदियों से धर्म की नगरी रहा है सरयू नदी के समीप बसा हुआ ये नगर अति प्राचीन है और भगवान् श्री राम के जीवन से जुड़े हुए कई दार्शनिक स्थल आज भी यहाँ मौजूद है जिनका भ्रमण करने देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु एवं पर्यटक यहाँ आते है। सच्चाई यह है की आज भी कई ऐसे मंदिर और भवन अयोध्या नगरी में स्थित है जिनकी जानकारी आम पर्यटकों को नहीं है और वे यहाँ सिर्फ चंद मंदिर देखकर ही खुदको तृप्त करते है। आज हम ऐसे है महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों की जानकारी आपको दे रहे है।
अयोध्या राम मंदिर समय, दर्शन,पूजा विधि
भक्तो की निरंतर बड़ी हुई संख्या को मद्देनज़र रखते हुए अयोध्या मंदिर का समय पहले की अपेक्षा बड़ा दिया गया है अथवा अब यह मंदिर सुबह ७ बजे से १२ बजे तक खुलता है एवं १२ से २ बजे तक विश्राम हेतु बंद रहता है। अपराह्न में २ बजे फिर से मंदिर को दर्शन के लिए खोल दिया जाता है जो की साय : ६ बजे तक खुलता है
अयोध्या कैसे पहुंचे ?
भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के निरंतर प्रयासों से अयोध्या पहुंचना अब बहुत ही आसान हो गया है और आने वाले दिनों में देश के किसी भी राज्य से यहाँ पहुंचना और भी आसान हो जायेगा , वर्तमान में यहाँ सड़क, रेल एवं हवाई यात्रा के द्वारा पहुंचा जा सकता है। अयोध्या नगरी पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ में स्थित है जो की प्रदेश की राजधानी भी है , यह हवाई अदा देश के विभिन्न राज्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय शहरों से जुड़ा हुआ है जहाँ आकर आप सीधे कुछ देर की सड़क यात्रा पूरी करके अयोध्या पहुचंह सकते है , लखनऊ के अलावा वाराणसी हवाई अड्डा एवं गोरखपुर हवाई अड्डा भी यहाँ पहुँचने के बेहतर विकल्प है।
दिल्ली की ओर से आने वाले पर्यटक यहाँ लखनऊ एक्सप्रेस हाईवे द्वारा अपनी यात्रा तय करके पहुँच सकते है। वाराणसी , गोरखपुर एवं प्रयागराज से भी यहाँ आसानी से सफर तय करके पहुंचा का सकता है अयोध्या रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है एवं यहाँ रेल मार्ग द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
राम कोट अयोध्या –
राम कोट-राम कोट अयोध्या नगरी कई पश्चिम दिशा में स्थित है और यहाँ अनेक मंदिर एवं ऐतिहासिक भवनों का समूह है ,यहाँ पहुंचकर आप अनेक मंदिरों एवं भवनों कई दार्शनिक साथ कर सकते है , रामनवमी (श्री राम का जन्मदिवस) के पावन अवसर पर जो की मार्च -अप्रैल के महीने में पड़ती है यहाँ विशेष आयोजन होते है अथवा देश विदेश से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहाँआकर आनंद प्राप्त करते है
अयोध्या श्री राम लला मंदिर –
अयोध्या की सबसे मुख्या जगह है “श्री राम लला मंदिर ” जिसे लोग राम मंदिर अयोध्या के नाम से भी जानते है। वैसे तो अनेक धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख है की भगवान् श्री राम का जन्म सारी नदी के समीप बेस अयोध्या में हुआ था फिर भी २३डेम्बर १९४९ का दिन हिन्दू धर्म के अनुयायिओं के लिए एक ख़ास दिन है जब चारों तरफ ये हॉल हुआ की बाबरी मस्जिद जिसको की पूर्व में बने हुए राम मंदिर को तोड़कर मुग़ल बादशाह बाबर ने बनाया था उसमे से राम लला (यानि की भगवान् श्री राम) मूर्ति रूप में प्रकट हुए है , तभी से यहाँ दुनिया भर से लोग भगवान् श्री राम के दर्शन के लिए आते है और यह हिन्दू धर्म के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन के बाद जल्द ही यहाँ भगवान् रामका विश्व का सबसे विशाल मंदिर बनकर तैयार होगा जोकि इस छेत्र और संपूर्ण भारत वर्ष का सबसे बड़ा आकर्षण होगा।
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कनक भवन अयोध्या –
कनक भवन अयोध्या का सबसे सुसज्जित और ऐतिहासिक भवन है ऐसा कहा जाता है की श्रीराम के विवाह के पश्चात जब सर्वप्रथम सीता जी अयोध्या पधारी थी तब उनकी मुँह दिखाई की रस्म के रूप में श्री राम की माता कैकयी ने कनक से बना हुआ अपना खुद का महल उन्हें उपहार स्वरुप दिया था। बाद में महान राजा विक्रमादित्य ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया उसके उपरांत महारानी वृषभानु कुंवारी ने एक सुन्दर विशाल भवन इसी स्थान पर दोबारा से बनवाया जो की आज वर्तमान में वहां विधमान है। इस मंदिर में श्री राम और किशोरी जी की दिव्या प्रतिमा स्थापित की गयी है।
इसी मंदिर के प्रांगण में कनक रसोई भी है जिसे सीता रसोई भी कहा जाता है आज भी वहां श्रद्धालुओं को कुछ ही दाम में यहाँ स्वक्ष एवं सुन्दर भोजन कराया जाता है जिसे लोग प्रसाद स्वरुप ग्रहण करते है
अयोध्या हनुमान गढ़ी –
हनुमान गढ़ी अयोध्या का एक प्रसिद्द मंदिर है अथवा जो भी व्यक्ति अयोध्या आता है वह हनुमान गढ़ी के दर्शन अवश्य करके आता है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने स्वयं किया था जिसमे हनुमान जी की स्थापना की थी जो की बाद में ऊंचाई पर स्थित होने के कारन हनुमान टीले के नाम से प्रसिद्द हुआ ,यहाँ देश विदेश से श्रद्धालु श्री हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने आते है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारन आपको यहाँ सीडी मार्ग द्वारा जाना पड़ता यहाँ लगभग ७६ सीडिया है जिन्हे चढ़कर आप मंदिर के मुख्या बरामदे तक पहुँचते है।
अयोध्या छोटी देवकाली मंदिर –
छोटी देवकाली मंदिर अयोध्याका ऐतिहासिक मंदिर है जो की नए घात के समीप एक छोटी गली में स्थित है। यहाँ रहने वालो लोगों की मान्यता के अनुसार जब सीता जी भगवान् श्री राम से विवाह करके अयोध्या पधारी तब वह अपने साथ अपने पूज्य देवी गिरिजा को भी अयोध्या साथ लेकर आयी। जब महाराज दशरथ जो की सीता जी के ससुर थे उन्हें ये पता चला तब उन्होंने देवी गिरिजा की स्थापना सप्तसागर के समीप एक भव्य मंदिर में की और जानकी जी नित्य नियमपूर्वक खुद महल से चलकर परम शक्तिस्वरूपा माँ गिरिजा की प्रातः काल उठकर पूजा अर्चना की लिए जाती थी। वर्तमान में यहाँ श्री देवकाली जी का देदीप्यमान भव्य प्रतिमा स्थापित है। जिसके दर्शन करने लोग दूर दूर से यहाँ आते है.
अयोध्या मत्तगयन्द जी का स्थान –
मत्तगयन्द जी लंका नरेश रावण के भाई विभीषण के पुत्र थे , जिन्हे अयोध्या नगरी में एक विशेष स्थान प्राप्त है अपने पिता विभीषण के सामान उनकी भी प्रभु श्री राम में विशेष आस्था थी और वह भी जीवन भर उनके ही आदर्शो पर चले। मत्तगयन्द जी का मंदिर कनक भवन मंदिर के उत्तर दिशा में स्थित है और ऐसा कहा जाता है की ये रामकोट की उत्तरी द्वार की प्रधान रक्षक थे इसलिए यहाँ लोग बड़ी तादात में इनके दर्शन करने यहाँ आते है। होली की त्यौहार की उपरान्त पड़ने वाले पहले मंगलवार को यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है और इनके दर्शन करने श्रद्धालु विभिन्न प्रदेशों से यहाँ आते है
अयोध्या नागेश्वर नाथ मंदिर –
यह मंदिर लगभग ४ किलोमीटर की दूरी पर राम की पैड़ी की नजदीक स्थित है। इतिहासकार बताते है किइस मंदिर का निर्माण श्रीराम के पुत्र महाराज कुश ने स्वयं किया था। इसके निर्माण के पीछे की कथा कुछ इस प्रकार है जब एक दिन महाराज कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे तो उनके हाथ का कंगन नदी के जल में गिर गया जिसे नाग कन्या द्वारा उठा लिया गया एवं महाराज कुश ने उस कंगन को ढूढ़ने के लिए अथक प्रयास किये पर उन्हें वो कंगन प्राप्त नहीं हुआ। तब नाराज होकर उन्होंने सारी नदी को सुखा देने की इच्छा से अग्निसार का संधान किया जिसकी वजह से नदी में निवास करने वाले जीव जयन्तु व्याकुल हो उठ।
यह देखकर नागराज ने खुदयेह कंगन नदी से लाकर महाराज कुश को समर्पित किया तथा अपनी पुत्री की गलती की चमा मांगी और वह महाराज कुश से उनकी पुत्री से विवाह का प्रस्ताव रखा और महाराज कुश का विवाह नाग कन्या के साथ इसी स्थान पर संपन्न हुआ अतः उस घटना की स्मृति में महाराज कुश ने नागराज के एक विशाल मंदिर की स्थापना की जिसे आज लोग नागेश्वरनाथ मंदिरके नाम से जाना जाता है ,ये मंदिर अयोध्याका एक प्रसिद्द मंदिर है जहाँ हर वर्ष श्रवण मॉस में लाखों श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान कर भगवान्भ शिव पर जल चढ़ाकर उनकी उपासना करते है।
अयोध्या कालेराम जी का मंदिर –
कालेराम जी का मंदिर अयोध्या की पवननगरी में एक विशेष स्थान रखता है क्युकी इस मंदिर की स्थापना महाराजा विक्रमादित्य ने स्वयं की थी यहाँ आज भी महाराजा विक्रमादित्य युग की काले रंग की मुर्तिया विढ्मान है यह मंदिर सरयू नदी के पावन तट पर स्वर्गद्वार मोहल्ले के समीप बना हुआ है। इस मंदिर की गिनती अयोध्या नगरी के सबसे प्राचीन मंदिरों में की जाती है और यहाँ प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते है
अयोध्या मणिपर्वत –
यह मंदिर विद्याकुंड के नजदीक ६५ फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है ये स्थान अयोध्या का एक प्राचीन स्थान है जिसकी बहुत अधिक मान्यता है इतिहासकारों के अनुसार जब श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर लंका से अयोध्या ा रहे थे तब इसी पर्वत पर ठहरकर उन्होंने विश्राम किया था और उस पर्वत को उन्होंने लंका से चलने के उपरान्त अयोध्या पहुँचने से पहले यहीं भूमि पर रखा था। यह मंदिर एवं यहाँ का झूला पर्यटकों और श्रद्धालुओं को खूब लुभाता है। सावन के महीने में अयोध्या में होने वाले झूलन महोत्सव का प्रारम्भ इसी स्थान से होता है और इस ख़ास मौके पर हजारो श्रद्धालु यहाँ आकर ईश्वर की एक झलक पाने को बेताब रहते है। यहाँ की ख्याति दूर दूर तक प्रसिद्द है
अयोध्या लक्ष्मण क़िला –
सरयू नदी के पावन तट पर स्थित लक्ष्मण क़िला अपने आप में एक अनूठा दार्शनिक स्थल है इस क़िले का निर्माण मुबारक अली खां ने करवाया था इसीलिए इसे मुबारक क़िला भी कहा जाता है। रसिक सम्प्रदाय के महान संत स्वामी युगलानन्द पारण जी महाराज , निर्मली कुंड पर तप करते है उनके स्वर्गवासी होने के उपरांत कालांतर में दीवान रीवां दीनबंधु जी ने इस स्थान पर एक विशाल मंदिर बनवाया था जो आज भी वर्तमान में वहां स्थित है इसके दर्शन करने लोग हर जगह से आते है
अयोध्या विजयराघव मंदिर –
यह मंदिर विभीषण अयोध्या नगरी में स्थित है जब आप विभीषण कुंड के दर्शन के लिए जाते है तब यह मंदिर आपको उसी मार्ग पर स्थित मिलेगा इसकी स्थापना अचारी सम्प्रदाय द्वारा १९१५ ईस्वी में की गयी थी अचारी सम्प्रदाय के तिंगल शाखा के अयोध्या स्थित मंदिरों में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है एवं इस मंदिर के दर्शन करने विभिन्न जगहों से लोग यहाँ आते है।
अयोध्या छीरेश्वरनाथ महादेव मंदिर –
यह प्रसिद्ध स्थल पौराणिक काल से अति शोभनीय है हनुमान गढ़ी मुख्य चौराहे से फैज़ाबाद -लखनऊ जाने वाले मार्ग पर यह छीरसागर स्थित है इसके समीप ही आप श्री छीरेश्वरनाथ नाथ जी महादेव के विशाल मंदिर के दर्शन का लाभ उठा सकते है वर्गाकार चबूतरे पर स्थित इस मंदिर की संपूर्ण अयोध्या नगरी में काफी मान्यता है और यहाँ मंदिर में स्थित विशाल शिवलिंग को लोग दूर दूर से पूजने आते है। यहाँ सरयू नदी में स्नान करने के पश्चात शिवलिंग पर जल चढ़ाने की प्रथा है जिससे भक्तो की मनोकामना पूर्ण होती है।
अयोध्या लव कुश मंदिर –
यह मंदिर भगवान् श्री राम के पुत्र महाराज लव और महाराज कुश को समर्पित है है इस मंदिर के भीतर श्री राम के पुत्र लव और कुश के साथ ही महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा भी स्थापित है इस मंदिर के नजदीक भी कबि अन्य मंदिर एवं भवन है जीना आप भ्रमण कर सकते है जिनमे प्रमुख है अम्बरदासजी राम कचहरी मंदिर जगन्नाथ मंदिर तथा रंग महल , जो की अयोध्या में बानी दक्षिण भारत जे शैली में बने हुए प्रमुख मंदिर है
अयोध्या “रानी हो “-
आज से लगभग २००० वर्ष पूर्व अयोध्या नगरी की “रानी हो ” जल मार्ग द्वारा भारत से कोरिया गयी थी जिन्हे कोरिया देश में कोरियाई नाम हु-वांग आक के नाम से जाना जाता है। जब वह कोरिया चालीगयी तब वहां जाकर उन्होंने अपना विवाह कोरिया साम्राज्य के राजा ‘किम सुरो ‘ के साथ संपन्न किय। अयोध्या में “रानी हो” की जन्मस्थली आज भी मौजूद है जहाँ साल २००० में उनकी स्मृति के स्वरुप में एक स्मारक का निर्माण कराया गया , तब से लेकर यह स्मारक आज तक कोरियाई गणराज्य का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है और यहाँ देश विदेश से लोग इस पवित्र भूमि के दर्शन के लिए आते है।
अयोध्या रत्नसिंहासन –
रत्नसिंहासन बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है ऐसे माना जाता है की यही वो जगह है जहाँ आज से हजारो वर्ष पूर्व जब भगवान् राम अयोध्या से युध में लंकापति रावण को पराजित कर अयोध्या लौटे थे तब इसी स्थानपर उनका राज्याभिषेक समारोह संपन्न हुआ था और उन्हें राज्य का राजा घोषित कर उन्हें राज्य की जिम्मेदारी सौपी थी। यहाँ श्रद्धालु आकर इस ख़ास स्थान का भ्रमण करते है
अयोध्या दंतधावन कुंड –
जिस तरह अयोध्या स्थित विभिन्न जगहों पर भगवान् श्री राम के जीवन से जुडी हुई कहानियां जुडी हुई है ठीक उसी प्रकार दन्त धावन कुंड भी श्री राम के जीवन से जुड़ा हुआ है ऐसा माना जाता है की यहीं भगवान् राम अपने चरों भाइयों के साथ प्रातः काल दतुवन करने आते थे। श्री वैष्णव के बड़गल शाखा के अंतर्गत आने वाला यह मंदिर हनुमानगढ़ी चौराहे से रामघाट तुलसी स्मारक जाने वाले रस्ते पर स्थित है। यह अयोध्या का एक महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ आज भी लोग इन किवदंतियों के दर्शन करने आते है
अयोध्या वाल्मीकि रामायण भवन –
यह भवन पुरीयोध्या नगरी में अपनी अनूठी कला के लिए प्रसिद्द है जहाँ सफ़ेद संगेमरमर पर महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को उकेरा गया है जिस प्रकार श्री तुलसीदास जी की भगवान् राम के प्रति असीम श्रद्धा थीथीक उसी प्रकार हस्तशिल्पो ने पूरी श्रद्धा से इस रामायण के एक एक दोहे और श्लोकों को पत्थर पर उकेरा ह। यह अपन आप में की गयी वास्तुकला का एकमात्र उद्धरण है। यहाँ दर्शन करने देश विदेश से हजारों श्रद्धालु आते है और भगवान् श्री राम और वाल्मीकि जी की रामायण का अवलोकन करते है।
अयोध्या राम कथा संग्रहालय –
तुलसी चौराहे के नजदीक स्थित उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तुलसी स्मारक का निर्माण कराया गया है इस स्मारक के अंदर स्थित राम कथा संग्रहालय में भगवान् रामके जीवन से सम्बंधित विभिन्न साहित्य , पेंटिंग , हाथी दाँत के मुखोटे , ऐतहासिक वस्तुएं , राम के जीवन से सम्बंधित विभिन्न लेख , और उनसे जुडी विशेष जानकारियां उपलब्ध है इसमें प्रभु श्री राम के जीवन से जुडी हुई ऐसी ऐसी किताबें एवं लेखन सम्बन्धी सामग्री मौजूद है जिन्हे पढ़कर आपको राम के जीवन से अत्यंत प्रेरणा मिलती है। ये स्थान अयोध्या आने वाले लोगों के लिए एक विशेष महत्व रखता है
अयोध्या गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड –
अयोध्या नगरी स्थित ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा लगभग मुख्य मंदिरों से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ,ब्रह्मकुंड घाट के नजदीक एक छोटा सा ब्रह्मा जी का मंदिर बना हुआ है जहाँ त्रिदेव भगवान् श्री ब्रह्मा जी की चतुर्भुजी मुत्री स्थापित है , इतिहासकार बताते है की जब गुरु गोविन्द सिंह जी यहाँ आये तब श्री ब्रह्मा जी ने अपने चतुरानन रूप के दर्शन गुरु गोविन्द सिंह जी को इसी स्थान पर साक्षात दर्शन दिए। उसके उपरांत इस स्थान पर गुरु तेग बहादुर जी और अंत में गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी इस पवित्र स्थल का भ्रमण किया एवं वे यहाँ कई दिन तक प्रवास करके प्रभु श्री राम की भक्ति में लीं रहे। इस घाट पर वर्तमान में एक विशाल गुरूद्वारे का निर्माण हुआ है जहाँ हर साल लाखों सिख श्रद्धालु और तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आते है
अयोध्या के पवित्र जैन मंदिर –
भगवान् श्री राम की जन्म स्थली होने के साथ साथ अयोध्या पांच जैन तीर्थंकारों की जन्मभूमि होने का भी गौरव अयोध्या नगरी को प्राप्त है। यहाँ उन्ही पांच तीर्थंकारों के मंदिरों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु एवं पर्यटक देश विदेश से यहाँ आते है उन पांच तीर्थंकारों के मंदिर कुछ इस प्रकार है। तीर्थकार आदिनाथ मंदिर , तीर्थकर अजितनाथ मंदिर , तीर्थकार अभिनन्दननाथ मंदिर, तीर्थकर सुमंथनाथ मंदिर एवं तीर्थकर अनन्तनाथ मंदिर , अयोध्या में जैन गुरु ऋषभदेव जी का भी एक विख्यात मंदिर है जिसमे ऋषभदेव जी की २१ फ़ीट ऊँची संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है जो की अयोध्या के सभी जैन तीर्थ स्थलों में सबसे विशाल मूर्ती है जैन धरम का महत्व इस नगरी में सर्वाधिक होने का कारन यहाँ हर वर्ष जैन अनुयायी और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
अयोध्या की प्रमुख परिक्रमाए
* चौरासी कोसी परिक्रमा-चैत्र शुक्ल रामनवमी को प्रारम्भ
* चौदह कोसी परिक्रमा -कार्तिक शुक्ल नवमी या अक्षय नवमी पर
*पंचकोसी परिक्रमा -कार्तिक एकादशी को
*अन्तर्ग्रही परिक्रमा -नित्यप्रति
अयोध्या के प्रमुख त्यौहार
*चैत्र रामनवमी (मार्च -अप्रैल)
*श्रावण झूला मेला (जुलाई- अगस्त)
*कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर)
*श्री राम विवाहोत्सव -रामायण मेला ( नवंबर -दिसंबर)
*बालार्क तीर्थ (सूर्यकुंड मेला)
*भारत कुंड मेला
*गुप्तारघाट मेला
*मखभूमि (मखौड़ा ) मेला
*सूकरछेत्र मेला