मथुरा एवं वृन्दावन सदियों से ऋषि महात्माओ, साधु संतो और तपस्वियों की भूमि रहा है ,सदियों से लोग भगवान् कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा का भ्रमण करने दूर दूर से लोग यहाँ आते है और यहाँ की पावन राज को अपने मस्तिक्स से लगाकर खुद को सौभाग्य साली पाते है मथुरा जो की भगवान् कृष्ण का जन्म स्थान है और वृन्दावन जहाँ रहकर प्रभु श्री कृष्ण ने अनेको लीलाये की है आज विश्व भर में पर्यटन का मुख्या केंद्र यहाँ हर वर्ष श्रद्धालु और पर्यटक का टाटा लगा रहता है पर आज भी इस बृजभूमि की कुछ पहलु आम लोगों से रूबरू नहीं हो पाए है आज हम आपको इस पावन भूमि मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर, कुछ ख़ास दर्शनीय स्थल और उनके समय एवं उनसे जुडी कुछ रोचक जानकारिया देने जा रहे है।
मथुरा वृन्दावन में और क्या क्या देखे ?
जैसा की आप जानते है की मथुरा वृन्दावन दोनों ही स्थान पर एक से बढ़कर एक दार्शनिक स्थल है और एक तरह से ये विश्व विख्यात मंदिरो कैसा समुद्र है जिसकी गहराई कपट लगाना मुश्किल है ठीक उसी प्रकार यहाँ पर कुछ अन्य ऐसे विरले दार्शनिक स्थल है जो की बृजभूमि में आने की बाद भी लोगों की पहुँच से दूर है और ये सभी धार्मिक स्थल कृष्ण की जीवन से कहीं न कहीं जुड़े हुए है उनमे से मुख्या है , बरसाना, गोकुल, महावन, बलदेव , गोवेर्धन , रमन रेती इत्यादि यहाँ मंदिरो क़े साथ साथ कुछ रमणीक आश्रम एवं ऐतिहासिक स्थल है जिंकेबरे में अपने कम ही सुना होगा इस आर्टिकल में हम आपको उनके महत्व ,समय,नियम एवं उनसे जुड़े तथ्यों की जानकारी देंगे
मथुरा वृन्दावन कैसे पहुंचे ?
मथुरा और वृन्दावन पहुँचने देश में सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है मथुरा पहुँचने क़े लिए आपको देश क़े हर कोने से रेल अथवा पब्लिक यातायात उपलब्ध है आप अपने निजी वहां से भी आसानी से मथुरा पहुँच सकते है ये शहर दिल्ली कोलकाता हाइवे से सीधे तौर से जुड़ा हुआ है दिल्ली जो की देश की राजधानी है वहां से मथुरा की दूरी सिर्फ 150 किलोमीटर है वहां से मथुरा पहुँचने क़े लिए आपको सीधे टैक्सी या बस उपलब्ध है और आप ट्रैन से दिल्ली पहुंचकर सिर्फ १ से 2 घंटे की यात्रा सड़क मार्ग द्वारा पूरी कर सकते है जो आपको सीधे मथुरा और वृन्दावन पहुंचती है , ये शहर आगरा दिल्ली यमुना एक्सप्रेस वे से भी जुड़ा हुआ है और अगर आप हवाई सफर करके आ रहे है तो सीधे दिल्ली पहुंचकर या फिर आगरा क़े खेरिआ हवाई अड्डे पर उतरकर वहां से टैक्सी लेकर मथुरा पहुंचा जा सकता है जो की सिर्फ 50 किलोमीटर की दूरी पर है अगर आप भारत क़े दक्षिण राज्यों से आ रहे है तब आपके लिए बेहतर विकल्प दिल्ली पहुंचकर वहां से टैक्सी या बस लेकर आना ही सही रहेगा कुछ बड़े शहरों से यहाँ क़े लिए सीधे ट्रैन की भी उपलब्धता है।
मथुरा से वृन्दावन एवं अन्य पर्यटक स्थलों की दूरी एवं समय
मथुरा पहुंचकर आप सभी आस पास क़े पर्यटक स्थलों पर आसानी से पब्लिक यातायात या फिर निजी टैक्सी बुक करके पहुँच सकते है। मथुरा से वृन्दावन की दूरी मात्र 15 किलोमीटर है जिसमे आपको मुश्किल से आधा घंटा लगता है, मथुरा से गोकुल की दूरी सिर्फ 10 किलोमीटर है और मथुरा से बरसाना सिर्फ 50 किलोमीटर है जिसमे आपको एक घंटा लग सकता है , ठीक उसी प्रकार मथुरा से गोवेर्धन की दूरी सिर्फ 21 किलोमीटर है जोकि यहाँ का एक विशेष पर्यटन स्थल है , अगर आप दिल्ली से आ रहे है तो आप राष्ट्रीय राजमार्ग से दाहिने हाथ पर मुड़कर सीधे वृन्दावन पहुँच सकते है और वहीँ से सीधे मथुरा की ओर जा सकते है इस शहर में हर तरह क़े यातायात की सुविधा है जिससे की पर्यटकों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में कोई परेशानी न हो
अंग्रेजी में जानकारी के लिए पढ़े – Mathura Vrindavan Temples Facts and Timings
मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर एवं आकर्षण
श्री कृष्ण जन्मभूमि,मथुरा
मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर एवं दार्शनिक स्थलों में सबसे पहला स्थान श्री कृष्ण जन्मभूमि का आता है जहाँ हर वर्ष करोड़ों श्रद्धालु दुनिया क़े कोने कोने से आकर यहाँ इस पवित्र स्थान क़े दर्शन करते है ,यहाँ आपको देशी और विदेशी श्रद्धालु साल क़े 12 महीने लम्बी यात्रा क़े बाद पहुँचते है यहाँ विश्व स्तरीय सुरक्षा जांच क़े बाद ही भक्तो को जनम भूमि क़े अंदर प्रवेश की अनुमति है ,यहाँ श्री कृष्ण क़े बालरूप क़े दर्शन आपको मिलेंगे ऐसा माना जाता है की यही वो स्थान है जहाँ श्री कृष्ण की माता देवकी ने उन्हें एक कारागार में जन्म दिया था जिसके बाद पूरी रात यमुना में चलकर कृष्ण क़े पिता वासुदेव उन्हें गोकुल नन्द बाबा क़े पास छोड़कर आये थे , इस मंदिर की छठा अनूठी है अथवा श्री कृष्ण और श्री रधा जी की मूर्ती दुनिया की सबसे खूबसूरत मूर्तियों में से एक है।
ऐसा माना जाता है की इस भव्य मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम श्री कृष्ण क़े नाती वज्रनाभ ने किया था जिसके बाद समय समय पर इसमें बदलाव क़े बाद इस मंदिरको और भव्य बनाया गया जो भी व्यक्ति मथुरा वृन्दावन आता है वो यहाँ दर्शन करके जरूर आता है। इस मंदिर में प्रवेश करने पर बहार ही आपको योग माया का भी एक मंदिर मिलता है ये वही योगमाया है जिनका जन्म कृष्ण क़े साथ ही हुआ था और जिन्होंने भविस्यवाणी करके कृष्ण क़े मामा कंस को बताया था की देवकी की आखरी संतान श्री कृष्ण तेरी मृत्यु का कारन बनेगा Book Maharaja Express
Suggested Tours
मथुरा चार धाम यात्रा के बारे में पढ़े :- Mathura Char Dham
द्वारकाधीश मंदिर,मथुरा
जैसा कि इस मंदिर का नाम है वैसा ही इसका उल्लेख है यहाँ श्रीकृष्ण को द्वारका नगरी क़े राजा क़े रूप में पूजा जाता है और में मन्दिरश्री कृष्ण जन्मभूमि से कुछ ही दूरी पर स्थित है इस मंदिर में आपको बेहतरीन नक्कासी और वास्तुकला का बेहतरीन उधारण देखने को मिलता है यहाँ श्री कृष्ण की मूर्ती काळा रंग में और श्री राधा जी की मूर्ती सफ़ेद रंग क़े पठार से बनु हुई है और एक झलक देखने पर ही गजब का प्रभाव श्रद्धालुओं पर पड़ता है यहाँ हर वर्ष लाखों लोग इस मंदिर क़े दर्शन क़े दर्शन करने क़े लिए आते है एवं ये मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर स्थलों में से एक है यह मंदिर प्रतिदिन सुबह खुलता है और दोपहर की आरती क़े वक़्त इसे बंद कर दिया जाता है फिर दोबारा साम 4 बजे से 8 बजे तक इस मंदिर को आम दर्शन क़े लिए खोल दिया जाता है होली के त्योहार पर यहाँ विशेष आयोजन होते है जिसकी एक झलक पाने क़े लिए लोग देश विदेश से आते है
इस्कॉन मंदिर वृन्दावन – मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर
इस मंदिर का निर्माण इस्कॉन फाउंडेशन द्वारा सन 1975 में कराया गया था ये मंदिर वृन्दावन में स्थित है एवं विश्व भर से हरे रमा हरे कृष्ण संस्कृति क़े अनुयायी यहाँ आकर भगवान् श्री कृष्ण क़े दर्शन करते है एवं उनके द्वारा कही गयी बातों का अनुसरण करते है यहाँ हर समय आपको विशेष आयोजन देखने का लाभ मिलता है एवं यहाँ रह रहे विदेशी भक्त पर्यटकों क़े आकर्षण का प्रमुख केंद्र है , यहाँ विशेष फूलों से श्री कृष्ण और राधा रानी की श्रृंगार होता है एवं उनकी अलौकिक छठा भक्तों को अभिभूत करती है इस मंदिर का निर्माण सफ़ेद संगेमरमर से किया गया है एवं लोग इसे कृष्ण बलराम मंदिर क़े नाम से भी जानते है , हरे रमा हरे कृष्ण ट्रस्ट का आधारशिला स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गयी थी एवं विश्व भर में इनके अनेको मंदिर एवं धार्मिक स्थल मौजूद है और इनके अनुयायी दुनिया के हर कोने में फैले हुए है जो मंदिर सम्बंधित कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है , यहाँ आपको देसी घी से बना हुआ शुद्ध खिचड़ी का प्रसाद आपको श्री कृष्ण क़े चरणों में समर्पित होने क़े बाद मिलता है जिसे पाकर भक्त मंत्र मुग्धा हो जाते है
श्री बांके बिहारी,वृन्दावन – मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर
भगवान् श्री कृष्ण क़े दुनिया भर क़े श्रद्धालुओं में श्रीबांके बिहारी मंदिर का एक ख़ास स्थान है यहाँ क़े मंदिर में प्रवेश करते ही आप सीधे एक बड़े हाल से गुजरते हुए सामने ही बांके बिहारी की काले पत्थर से बनु हुई खूबसूरत मूर्ती देखते है इस मूर्ती को बांके कहने क़े पीछे भी एक बड़ा कारन है ये श्री कृष्ण की एकमात्र ऐसी मूर्ती है जो तीन जगह से मुड़ी हुई है इसलिए इस मूर्ति को श्री बांके बिहारी क़े नाम से जाना जाता है , यहाँ भक्त दर्शन क़े लिए हजारो की संख्या में देश विदेश से हर साल आते है ऐसा मन जाता है की ये मंदिर वृन्दावन का सबसे पुराण मंदिर है जो की सन 1864 में स्थापित हुआ था यहाँ विशेष तरह क़े फूल बंगले भगवान् कृष्ण क़े मंदिर में सजाये जाते है जिनकी खुसबू से सारा वातावरण महक उठता है ,यहाँ होली क़े अवसर पर विशेष आयोजन होते है एवं प्रसाद रूप में लोग पेड़े चढ़ाते है , इस मंदिर में क़े दर्शन सुबह 7 से 12 बजे तक और दोपहर में 5 बजे से 8 बजे तक होते है यहाँ आने क़े लिए आपको अपने वहां मंदिर से लगभग 1 कम की दूरी पर छोड़ने पड़ते है और फिर वृन्दावन की कुञ्ज गलियों से गुजरते हुए आपको मंदिर तक पहुंचना पड़ता है
श्री बांके बिहारी मंदिर से जुडी हुई कुछ रोचक जानकारियां
1. इस मंदिर में और मंदिरों की भाति आपको कोई भी घंटी या बड़े घंटे नहीं मिलेंगे , ऐसा मन जाता है की यहाँ श्री कृष्ण भगवान् को लोग बालरूप में पूजते है जो की अपनी माँ की गोद में सोया हुआ है और लोग ऐसा मानते है की इस अवस्था में यदि घंटी की आवाज़ हुई तो उनकी नींद टूट जाएगी इसलिए यहाँ एक भी घंटी देखने को नहीं मिलेगी
2. यहाँ श्रीकृष्ण की मूर्ति क़े आगे एक पर्दा लगा हुआ है जिसको कुछ कुछ देर बाद श्री कृष्ण की मूर्ति क़े सामने से हटाया और लगाया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है की कोई भी बुरी परछाई श्री कृष्ण क़े बाल रूप पर न पड़े
प्रेम मंदिर, वृन्दावन – मथुरा वृन्दावन के प्रसिद्द मंदिर
प्रेम मंदिर वृन्दावन में उपस्थित सबसे भव्य मंदिर है जो की 55 एकर में फैला हुआ है इस मंदिर को बनाने में अनुमान क़े मुताबिक करीब 200 करोड़ रुपए लगे थे एवं आज भी मंदिर क़े कुछ हिस्सों में काम चल रहा है , यह मंदिर सफ़ेद संगेमरमर से बना हुआ है और इस मंदिर की दीवारों , छज्जों, और खिड़कियों पर बेहतरीन नक्कासी की गयी है और ये एक बड़े से चबूतरे क़े बीचोबीच बना हुआ है जिसके चरों और कृष्ण भगवान् से सम्बंधित चित्र और पेंटिंग्स से मंदिर क़े गलियारे को सजाया गया है इस मंदिर क़े सामने की और खूबसूरत पार्क और फव्वारे लगाए गए है जिससे इस मंदिर की छठा देखते बनती है , हर साम इस मंदिर पर रंग बिरंगी रौशनी की झलक दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है यहाँ होली और कृष्ण जन्मास्ठमी क़े अवसर पर विशेष आयोजन होते है,
इस मंदिर को सुबह 8 बजे से भक्तों को दर्शन क़े लिए खोला जाता है और दिन में 12 बज इसे बंद कर दिया जाता है , फिर साम 4 बजे से दोबारा खोल दिया जाता है दर्शन क़े लिए
वैष्णो माता मंदिर , वृन्दावन
जैसे ही आप राष्ट्रीय राजमार्ग से दिल्ली से एते हुए छटीकरा चौराहे पर पहुंचेंगे उससे कुछ दूर चलने पर ही आपको एक बड़ी सी मूर्ति देवी माँ की सिंह पर सवार नज़र अति है बस यही वैष्णो माता मंदिर है , ये अपने आप में एक विखैत मंदिर है जिसमे कई मीटर की ये मूर्ति लोगों का प्रमुख आकर्षण है इस मंदिर में वैष्णो देवी गुफा की तर्ज पर ही एक गुफा बनायीं गई है जिसमे लोग प्रवेश करके इसमंदिर का विचरण करते है , इस मंदिर में नक़्शे और तस्वीरों क़े द्वारा इस मंदिर और इसकी खास मूर्ती क़े बनवाने क़े पीछे की पूरी कहानी दर्शायी गयी है की कैसेइतनी विशाल मूर्तिका निर्माण किया गया , इस मूर्ती में माँ दुर्गा लाल रंग की साड़ी में श्रिंगार में अपने सिंह पर सवार है जिनके हाथों में अस्त्र है और सर पर मुकुट , अन्य मंदिरों की भाँती इस मंदिर को भी दिन में 12 बजे करीब बंद कर दिया जाता है और साम को दोबारा दर्शनके लिए खोला जाता है , ये यहाँ क़े प्रमुख दार्शनिक स्थलों में से एक है
रंगनाथ जी मंदिर , वृन्दावन
रंगनाथ जी का मंदिर वृन्दावन में स्थित है जो की मथुरा से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिरका निर्माण सेठ लक्ष्मी चाँद जी ने अपनी गुरु श्री रंग देव स्वामी की स्मृति में कराया जो की दक्षिण भारत से है इस मंदिर को दक्षिण भारत क़े प्रमुख मंदिर श्री रंगम स्वामी की तर्ज पर बनाया गया है इस पुरे वृन्दावन शहर में ये एकमात्र मदिर है जोकि दक्षिण भारत से सम्बंधित है इसीलिए इसे देखने दक्षिण भारत से लाखों श्रद्धालु हर वर्ष यहाँ आते है इस मंदिर क़े मध्य में एक सोने का खम्बा लगा हुआ है जिसमे 30 से 40 किलो सोने का उपयोग हुआ है और इस खम्बे की लम्बाई भी लगभग फ़ीट है
निधिवन मंदिर , वृन्दावन
निधिवन वृन्दावन स्तिथित एक ख़ास धार्मिक स्थल है जो की कई रहस्यों को अपने अंदर समाये है हलाकि ये मंदिर और मंदिरोंकी भाति बहुत विशाल नहीं है पेरिस भगवान् श्री कृष्ण का साक्षात् निवास कहा जाता है जहाँ गोपियाँ संग आज भी श्री कृष्ण रासलीला करने हर साम आते है यहाँ क़े रहस्मयी वृक्षों को लोग आज भगवान् श्री कृष्ण की गोपियों क़े रोप्प में पूजते है अथवा ये मन जाता है की इन्ही गोपियों संग भगवान् आज भी रासलीला करने आते है
कई मीडिया चैनल्स ने जब इस बात की पड़ताल बाकायदा कैमरा लगा कर की इनमे से कई दावे सच पाए गए यहाँ साम होते ही खुद व खुद इंसान तो क्या पछी, जानवर सब खुद बहार आ जाते है क्युकी उनका मानना है की अगर श्री कृष्ण को किसी ने रास करते देख लिया तो वो व्यक्ति या तो अँधा हो जायेगा या फिर कुछ बताने लायक अवस्था में नहीं रहे।
यहाँ बगीचे क़े मध्य में स्थित मंदिर में रात को सोते वक़्त भगवान् कृष्ण क़े लिए बिस्तर लगाए जाते है, पान रखा जाया है और दातुन राखी जाती है और सुबह जब इस क़े पैट खोले जाते है तो सब कुछ इस्तेमाल किया हुआ मिलता है , इसी वजह से यहाँ हजारो पर्यटक इस ख़ास देव स्थान क़े दर्शन करने दूर दूर से आते है।
बरसाना ,श्री जी मंदिर
यह एक मात्र मंदिर है जो की श्री राधा जी को समर्पित है मथुरा से लगभग 50 किलोमीटर दूर बरसन एक छोटा सा गांव है जहाँ श्री राधा जी का भव्य मंदिर विराजमान है , यह मंदिर एक पहाड़ी क़े ऊपर बना हुआ है और ये भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे की लाड़ली जी मंदिर, राधा जी मंदिर और श्री जी मंदिर, ऐसा माना जाता है की इस गांव में श्री कृष्ण राधा जी से मिलने आते थे और राधा जी का जन्म भी इसी स्थान पर बना हुआ है , इस मंदिर की खूबसूरती बरसात क़े मौसम में और बढ़ जाती है जब पहाड़ी की चारोंओर पेड़ पौधे हरे भरे हो जाते है , यहाँ राधाजी क़े दो मंदिर है एक जयपुर राजघराने से सम्बंधित है जबकि असली मंदिर श्री राधा जी का है यहाँ की छत से आप पुरे बरसाने गांव का अवलोकन कर सकते है
Suggested Tour Plan
गोवेर्धन परिक्रमा,
गोवेर्धन मंदिर मथुरा से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहाँ आकर श्रद्धालु पर्वत रुपी श्री कृष्ण भगवान् की परिक्रमा लगाते है ये संपूर्ण परिक्रमा २१ किलोमीटर की है जिसे दिन अथवा रात में लगायी जाती है , जो भक्त परिक्रमा नहीं लगाना चाहते वो गोवेर्धन स्थित दान घाटी मंदिर पर दर्शन करके खुद को तृप्त करते है , ये अत्यंत रमणीक स्थल है जहाँ कई मुख्य मंदिर और धार्मिक स्थल यात्रा मार्ग में अपना मन मोह लेते है
ऐसा माना जाता है की आप जानते है की गोवेर्धन की कहानी यह है की गाँव में एक समय पर लोग भगवान् इन्द्र को छोड़ केर कृष्णा की पूजा करने लगे थे तब वर्षा के देव इन्द्र ने पुरे गाँव पर घनघोर वर्षा कर उसे पानी में डुबो दिया था तब जाकर श्री कृष्णा भगवान् ने अपनी चिनगी ऊँगली पर गोवेर्धन पर्वत उठाकर गाँव के लोगो की रक्षा की थी तब से लेके आज तक गोवेर्धन पर्वत को भगवान् कृष्णा का अंश मन जाता है और यहाँ हर वर्ष इस पर्वत की परिक्रमा लगाते है
वैसे तो यहाँ साल में हर समय परिक्रमा होती है पर कुछ खास तिथियों में यहाँ लाखों की भीड़ परिक्रमा लगाती है जैसे की मुड़िया पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा इत्यादि। पुरे उत्तर भारत में दिवाली के पर्व के दूसरे दिन गोवेर्धन पूजा की जाती है जहाँ लोग गोबर से गोवेर्धन बनाकर उसकी परिक्रमा लगाते है एवं परिवार के साथ पूजन करते है यहाँ के प्रमुख दार्शनिक स्थल है हरदेव मंदिर, दान घाटी मंदिर,मानसी गंगा, राधा कुंड एवं मुखर बाँध मंदिर।
रमन रेती आश्रम , गोकुल
रमन रेती आश्रम के बारे में हर मथुरा आने वाले व्यक्ति को जानकारी नहीं है ये प्रकृति सेघिरा हुआ अत्यंत रमणीक स्थल है जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु भगवान् कृष्णा के दर्शन के लिए आते है। यह स्थान मथुरा से केवल 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो की यमुनाकिनारे बना हुआ है और ये पूरा आश्रम यमुना नदी के चारो और बिछी हुई हरियाली और चमकती रेत से घिरा हुआ है यहाँ बहुत ही शानदार झोपडी के सामान कुटिया बनु हुई है जहाँ दुनिया भर के साधु संत और सन्यासी आकर ठहरते है और प्रभु का भजन कीर्तन एवं ध्यान करते है यहाँ आम नागरिको के भी रुकने की व्यवस्ता है पैर आपको इन कुटियों की बुकिंग पहले से करनी होती है ,
ऐसा माना जाता है कि यहाँ भगवान् कृष्ण जब अपनी गाय चराने आते थे तब वह इसी रेत में ग्वालों संग खेला करते थे और तब से आज तक ये भूमि तपोभूमि के रूप मे पूजी जाती है, यहाँ आज भी श्रद्धालु आकर उसी रेत में लोटते है और आश्रम के मध्य में स्थित भवन में श्री रमन विहारी जी की मूर्ती के दर्शन करते है
यह स्थान बच्चो के लिए भी आकर्षक है जहाँ आपको हजारो हिरन , शुतुरमुर्ग, खरगोश, हाथी, और बहुत से जानवर एवं पक्षी मंदिर द्वारा बनाये गए पार्क में रहते है जिनका रखरखाव मदिर ट्रस्ट करता है
ब्रह्माण्ड घाट, गोकुल
ब्रह्माण्ड घाट गोकुल में स्थित है जो की यमुना के किनारे पर बसा हुआ है, इस घात की राज आज भी प्रसाद के रूप में लोग कहते , इस घाट के बारे में ऐसा माना जाता है की ये वही घाट है जहाँ श्री कृष्णा ने माँ यसोदा को तीनो लोकों के दर्शन अपने मुख के अंदर कराये थे , आज भी यहाँ कई साधु संतो का डेरा लगा रहता है जो यहाँ निवास करते है। श्रद्धालु यहाँ आकर स्नान करते है अटवा घने वृक्षों के नीचे बैठकर भगवान् कृष्णा का स्मरण करते है यह स्थान आज भी बिकुल प्राकर्तिक और ठीक वैसा ही लगता है जैसे उस वक़्त रहा होगा
कीर्ति मंदिर ,बरसाना
कीर्ति मंदिर बरसाना को रंगीली महल के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर के नीव जगतगुरु श्री कृपालु जी महाराज ने 2006 में रखी थी जो की बनकर तैयार हो चूका है 30एकड भूमि में बना हुआ कीर्ति महारानी का यह संसार में पहला मंदिर है जिसमे कीर्ति माँ की गोद में श्री राधाजी विराजमान है ये मदिर शिल्पकारी और वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है जिसे देखने दूर दूर से लोग पहुँच रहे है यहाँ पत्थरों की नक्कासी और उन्हें काटकर बनायीं गयी जाली छज्जे तथा बारादरी देखते ही बनती है , जैसा की आप जानते है की बरसाना श्री राधा जी का ही गाओं है अथवा श्री जी मंदिर के बाद देखने लायक यह दूसरा रमणीक स्थल है। बरसाने आने वाले हर एक पर्यटक और श्रद्धालु को कीर्ति मंदिर अवश्य घूमना चाहिए
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